प्राक्- संक्रियात्मक अवस्था है-
जन्म से 24 माह
2 से 7 वर्ष
से 11 वर्ष
11 वर्ष से
से 7 वर्ष
जब एक शिक्षक विद्यार्थियों को उनकी अधिगम आवश्यकताओं के आधार पर पढ़ाता है तथा उनकी अधिगम समस्याओं का समाधान करता हुए अधिगम स्रोतों की ओर ले जाता है तो शिक्षण का स्तर होगा-
स्मृति स्तर
विमर्शी चिंतन स्तर
रचनात्मक स्तर
बोध स्तर
विमर्शी चिंतन स्तर
जिस प्रक्रिया में व्यक्ति दूसरे के व्यवहार को देख कर सीखता है ना की प्रत्यक्ष अनुभव के को कहा जा सकता है-
अनुकूलन अधिगम
प्रायोगिक अधिगम
सामाजिक उपागम
आकस्मिक अधिगम
अनुकूलन अधिगम
प्रशिक्षण एवं अभ्यास संबंधित है-
संज्ञानवाद से
व्यवहारवाद
निर्मितवाद से
उपरोक्त में से कोई नहीं
व्यवहारवाद
अंतर्दृष्टि अधिगम परिणाम है-
पुनर्बलन
उद्दीपन अनुक्रिया
समग्राकृति – प्रत्यक्षण
उद्दीपन सामान्यीकरण
समग्राकृति – प्रत्यक्षण
अंतर्मुखी बालक की मुख्य विशेषता होती है-
कक्षा में सभी से मेलजोल रखता है
पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भाग लेता है
एकांत में रह कर कम बातचीत करने वाला होता है
उपर्युक्त सभी
एकांत में रह कर कम बातचीत करने वाला होता है
अचेतन मन का अध्ययन किया जाता है-
प्रक्षेपी विधियों द्वारा
अवलोकन विधि द्वारा
साक्षात्कार द्वारा
आत्मकथा द्वारा
प्रक्षेपी विधियों द्वारा
अभिवृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया प्रारंभ होती है-
जन्म के बाद
शैशवावस्था से
गर्भाधान से
उपरोक्त में से कोई नहीं
गर्भाधान से
वाटसन के अनुसार शैशवावस्था से सीखने की सीमा और तीव्रता विकास की ओर किसी भी अवस्था की तुलना में अधिक होती है । इस कथन को ध्यान में रखकर शैशवावस्था में शिक्षा के आयोजन हेतु निम्न में से कौन सी क्रिया निषेध होनी चाहिए-
आत्मनिर्भरता का विकास
जिज्ञासा संतुष्टि
मूल प्रवृत्ति दमन
क्रिया द्वारा सीखना
मूल प्रवृत्ति दमन
निम्नलिखित में से सीखने के लिए अभिप्रेरित करने का सबसे उपयुक्त तरीका कौन सा है-
दंड का लाभ
पुरस्कार का प्रलोभन
यह बताना कि प्रकरण बहुत महत्वपूर्ण है
बच्चों के अनुभव से जोड़ना
बच्चों के अनुभव से जोड़ना
पोस्ट अच्छी लगी हो तो प्लीज नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर शेयर जरुर करें
0 Comments